माॅं तेरी याद में दो ऑंसू निकल जाते हैं। माँ तुम्हें कोटि-कोटि प्रणाम करते है। माॅं तेरी याद में दो ऑंसू निकल जाते हैं। माँ तुम्हें कोटि-कोटि प्रणाम करते है...
उस्ताद नहीं मैं लफ़्ज़ों का ना जादूगर अल्फाज़ो का, ना समझ मुझे है नज़्मों की ना ज्ञान म उस्ताद नहीं मैं लफ़्ज़ों का ना जादूगर अल्फाज़ो का, ना समझ मुझे है नज़्मों की ...
क्यों हुआ ?कैसे हुआ? कब हुआ? पता नहीं , इंसान बना मशीन, भावनाओं का पता नहीं क्यों हुआ ?कैसे हुआ? कब हुआ? पता नहीं , इंसान बना मशीन, भावनाओं का पता नहीं
मर्द का विलोम नहीं औरत मर्द का विलोम नहीं औरत
यह कविता हमारे जीवन में मॉं का महत्व दर्शाती है। यह कविता हमारे जीवन में मॉं का महत्व दर्शाती है।
यह कविता माता का महत्व समजाते है। यह कविता माता का महत्व समजाते है।